गुर्दे की पथरी: समस्या और उपचार
- Bionexus India
- Sep 6, 2023
- 17 min read
Updated: Sep 18, 2023
गुर्दे के स्वास्थ्य के परिप्रेक्ष्य में, पथरी का समस्या एक बड़ा मुद्दा है जिसे सामान्यत: अनदेखा किया जाता है। यह ब्लॉग आपको गुर्दे की पथरी के विभिन्न पहलुओं का परिचय देने का प्रयास करेगा। तो चलिए, इस विशेष समस्या पर गहनायु करते हैं।
परिचय
गुर्दे की पथरी एक आम स्वास्थ्य समस्या है जिसमें गुर्दे में छोटी या बड़ी पथरी बन जाती है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब गुर्दे के अंदर मूत्र में मौजूद धातुओं और मिनरल्स का संचारण होता है, जिससे पथरी बन जाती है। यह समस्या व्यक्ति के दिनचर्या, आहार, और जीवनशैली से संबंधित हो सकती है।
आइए इस समस्या को और अधिक विस्तार से जानते हैं:
लक्षण
गुर्दे की पथरी के लक्षण कभी-कभी अस्पष्ट हो सकते हैं, लेकिन जब पथरी गुर्दे से बाहर निकलने की कोशिश करती है, तब निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
1.पेट के निचले हिस्से में तेज़ दर्द: पेट के निचले हिस्से में तेज़ दर्द पथरी के सबसे प्रमुख और पहचान पाते लक्षणों में से एक है। यह दर्द आमतौर पर तभी होता है जब पथरी गुर्दे से बाहर निकलकर यूरीटर (मूत्रवाही नली) में चला जाता है और वहाँ अवरुद्ध हो जाता है।
विवरण
स्थिति और तीव्रता: यह दर्द अचानक शुरू होता है और समय के साथ तीव्र हो सकता है। यह दर्द तेज़ और कटु हो सकता है और इसकी स्थिति बदल सकती है जैसे कि यह पेट के निचले हिस्से से पीठ तक जा सकता है।
अवधि: यह दर्द कभी कुछ मिनट के लिए हो सकता है और कभी घंटों तक बना रह सकता है, विशेषकर जब पथरी मूत्रमार्ग में अवरोधित होती है।
संबंधित लक्षण: इस दर्द के साथ, व्यक्ति को पेशाब में जलन, पेशाब में रक्त, और/या मिचली और उल्टी की समस्या हो सकती है।
2.पेशाब में रक्त: पेशाब में रक्त का होना, जिसे हेमातुरिया कहते हैं, यह एक आम लक्षण है जिससे गुर्दे की पथरी साबित हो सकती है। यहां इस लक्षण के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं का वर्णन किया गया है:
कारण: पथरी जब गुर्दे या मूत्रमार्ग से गुजरती है, तो यह उसकी दीवारों को चोट पहुंचा सकती है, जिससे रक्त का स्राव होता है।
आधार: यह समस्या अकेली पथरी की वजह से नहीं होती, बल्कि यूरीन इंफेक्शन या अन्य गुर्दे से संबंधित समस्याओं के कारण भी हो सकती है।
प्रकार: रक्त का स्राव थोड़ा या ज्यादा हो सकता है। कभी-कभी यह नगन आंख से देखा नहीं जा सकता और केवल लैबोरेटरी परीक्षणों में ही पता चलता है।
उपचार: यदि पेशाब में रक्त का स्राव हो, तो तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेना महत्वपूर्ण होता है, ताकि समय रहते उचित उपचार और देखभाल हो सके।
निदान: पेशाब की जांच से डॉक्टर इस समस्या की पहचान कर सकते हैं और उसके आधार पर आगे का उपचार तय कर सकते हैं।
इस प्रकार, पेशाब में रक्त का होना गंभीर समस्या सूचित कर सकता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
3.मिचली और उल्टी: मिचली और उल्टी: यह दो ऐसे लक्षण हो सकते हैं जो गुर्दे की पथरी के उत्थान से संबंधित हैं। जब पथरी गुर्दे से बाहर निकलती है और यूरीन की नली में आती है, तो यह तीव्र दर्द और असहजता पैदा कर सकती है, जिसके कारण व्यक्ति को मिचली और उल्टी की शिकायत हो सकती है।
कारण
शारीरिक तनाव: पथरी से होने वाली चोट या तेज़ दर्द से शारीर में तनाव बढ़ जाता है, जिससे नौसिका और उल्टी हो सकती है।
असहजता: जब पथरी यूरीतर (मूत्रवाहिनी नली) में अटक जाती है, तो यह अत्यधिक असहजता और दर्द पैदा कर सकती है, जिसके कारण उल्टी और मिचली हो सकती है।
प्रबंधन
आराम: पहले चरण में, आपको चाहिए कि आप विश्राम करें और अपने शारीर को संजीवनी दें।
डॉक्टर की सलाह: यदि आपको उल्टी और मिचली की समस्या हो रही है, तो आपको चाहिए कि आप तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
पेय: ध्यान रखें कि आप पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ ले रहे हैं, ताकि शारीरिक स्थिति में सुधार हो।
दर्द निवारक: डॉक्टर की सलाह पर दर्द निवारक दवाएँ भी ले सकते हैं।
इन लक्षणों का सही प्रकार से प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है ताकि स्थिति में और अधिक बिगड़ोतरी न हो।
4.पेशाब में जलन: पेशाब में जलन गुर्दे की पथरी का एक आम लक्षण हो सकता है। जब पथरी गुर्दे से यूरीन की नली की ओर सरकती है, तो यह नली की दीवारों को चोट पहुँचा सकती है, जिससे पेशाब करते समय जलन हो सकती है।
इस जलन की तीव्रता और अवधि पथरी के आकार और स्थान पर निर्भर कर सकती है। इसके अलावा, अगर पथरी के कारण कोई संक्रमण हो जाता है, तो भी पेशाब में जलन हो सकती है।
यदि आप पेशाब में जलन महसूस कर रहे हैं, तो कुछ और संबंधित लक्षण हो सकते हैं, जैसे की:
पेशाब करने में कठिनाई: आपको पेशाब करने में कठिनाई हो सकती है या यूरिन का प्रवाह धीरा हो सकता है।
बदबूदार पेशाब: पेशाब की सामान्य से अधिक बदबू हो सकती है।
अधिक पेशाब की आवृत्ति: आपको अक्सर पेशाब जाना पड़ सकता है।
धातु या लाल रंग का पेशाब: पेशाब में रक्त या धातु मौजूद हो सकता है, जिससे पेशाब लाल या सांगरिया रंग का हो सकता है।
इन लक्षणों की पहचान होने पर जल्दी से मेडिकल मदद लेनी चाहिए। इससे आपके चिकित्सक उचित उपचार योजना तैयार कर सकेंगे।
5.अनियमित पेशाब की आवृत्ति: गुर्दे की पथरी से जुड़ा एक और आम लक्षण "अनियमित पेशाब की आवृत्ति" हो सकता है। इसमें व्यक्ति को बार-बार पेशाब की आवश्यकता महसूस होती है, जिससे उसकी दिनचर्या में बाधा आ सकती है। इस लक्षण का संदर्भ देते हुए, आइए जानते हैं कि यह कैसे होता है और इसके क्या पर्यायी उपचार हो सकते हैं:
गुर्दे की पथरी के कारण उत्पन्न अनियमित पेशाब की आवृत्ति का कारण हो सकता है:
यूरिन की नली में रुकावट: पथरी यूरिन की नली में रुकावट पैदा कर सकती है, जिससे पेशाब का संचारण धीमा हो जाता है और बार-बार पेशाब की आवश्यकता होती है।
संक्रमण: पथरी के कारण उत्पन्न संक्रमण से भी अनियमित पेशाब की आवृत्ति हो सकती है।
इस समस्या के निदान और उपचार के लिए आपके पास कई विकल्प हो सकते हैं:
मेडिकल जाँच: यदि आपको यह समस्या बार-बार हो रही है, तो आपको डॉक्टर से मिलकर इसकी जाँच करवानी चाहिए।
पानी का सेवन: पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, जिससे पेशाब की आवृत्ति सामान्य हो सकती है।
सही आहार: संतुलित आहार लेना, जिसमें उचित मात्रा में फाइबर और तरल पदार्थ हों।
इस परेशानी से बचने के लिए और इसका सही समय पर उपचार करवाने के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी महत्वपूर्ण होती है।
6.बुखार और ठंड लगना: बुखार और ठंड लगना गुर्दे की पथरी की स्थिति में आमतौर पर तब होता है जब पथरी से संबंधित संक्रमण हो जाता है। इसके अन्य विवरण इस प्रकार हैं:
बुखार: बुखार संक्रमण की एक सामान्य सूचना होती है। जब पथरी गुर्दे की नलियों में अवरुद्ध हो जाती है और इससे संक्रमण उत्पन्न होता है, तो यह शारीरिक प्रतिक्रिया हो सकती है।
ठंड लगना: संक्रमण बढ़ जाने पर, शारीर कोसिश कर सकता है इसे नियंत्रित करने की, जिसमें ठंड लगना भी शामिल है। यह ज्यादातर उच्च बुखार के साथ होता है।
अन्य लक्षण: इन लक्षणों के साथ, व्यक्ति को मलेशिया, कमजोरी और शारीरिक असुविधा भी महसूस हो सकती है।
यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो यह अत्यंत महत्वपूर्ण होता है कि व्यक्ति तत्काल मेडिकल सहायता प्राप्त करे, क्योंकि संक्रमण गंभीर स्थितियों की ओर इंगीत कर सकता है।
कारण
गुर्दे की पथरी होने के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
1.अपशिष्ट पदार्थों का संचय: जब हम बात करते हैं गुर्दे की पथरी के बनने के कारण, "अपशिष्ट पदार्थों का संचय" का मतलब है की शारीर में कुछ पदार्थों का अत्यधिक संचय हो जाता है, जिससे पथरी की संभावना बढ़ जाती है। चलिए, इस पर विस्तार से जानते हैं:
कैल्शियम औक्सलेट पथरी: जब शारीर में कैल्शियम और औक्सलेट की मात्रा अधिक हो जाती है तो ये दोनों एक साथ मिलकर कैल्शियम औक्सलेट पथरी बना सकते हैं।
यूरिक एसिड पथरी: ज्यादा मांसाहारी आहार और अधिक शाराब का सेवन करने से शारीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे यूरिक एसिड पथरी बन सकती है।
स्ट्रुवाइट पथरी: ये पथरी मूत्र मार्ग संक्रमण के कारण बनती हैं। संक्रमण के कारण जो बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं, वे एक प्रकार का अम्ल उत्पन्न करते हैं जिससे स्ट्रुवाइट पथरी बन सकती है।
इन पथरियों के बनने के प्रमुख कारण होते हैं अधिक नमक का सेवन, अपर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन, और कुछ गुर्दे से संबंधित बीमारियाँ।
इसलिए, यदि हम इन पदार्थों के संचय को नियंत्रित कर सकते हैं, तो हम पथरी की संभावना को कम कर सकते हैं।
2.अपर्याप्त जल सेवन: अपर्याप्त जल सेवन गुर्दे की पथरी का एक प्रमुख कारण है। जब हम पर्याप्त मात्रा में जल नहीं पिते, तो हमारा मूत्र संकेंद्रित हो जाता है, जिसमें मिनरल्स और नमकों की मात्रा अधिक होती है। इस स्थिति में, इन मिनरल्स और नमकों का संचय होने लगता है, जिससे पथरी की संभावना बढ़ जाती है।
गुर्दे मूत्र को फ़िल्टर करने का काम करते हैं, और जल की पर्याप्त मात्रा इस प्रक्रिया को सहज और प्रभावी बनाती है, ताकि अनावश्यक तत्व आसानी से शारीर से बाहर हो जाएं। इसलिए, रोजाना पर्याप्त मात्रा में जल पीना गुर्दे की पथरी के जोखिम को कम कर सकता है।
अगर आपको लगता है कि आप पर्याप्त जल नहीं पी रहे हैं, तो आप अपनी दिनचर्या में अधिक जल सेवन शामिल करने के तरीके ढूंढ सकते हैं, जैसे कि हर घंटे एक गिलास पानी पीना या भोजन के साथ पानी पीना।
3.आहारिक तत्व: गुर्दे की पथरी से बचाव के दृष्टि से आहार में कुछ विशिष्ट तत्वों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं कि कौन-कौन से आहारिक तत्व होते हैं जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए:
कैल्शियम: आहार में संतुलित मात्रा में कैल्शियम शामिल करना चाहिए, क्योंकि इसकी अधिकता या कमी दोनों ही पथरी का कारण बन सकती हैं।
ऑक्सलेट्स: उच्च ऑक्सलेट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करना चाहिए, जैसे कि पालक, चॉकलेट, और काजू आदि।
सोडियम: नमक में सोडियम होता है, जिसका अधिक सेवन गुर्दे की पथरी का कारण बन सकता है। इसलिए नमक का संतुलित सेवन करना चाहिए।
जल: पर्याप्त मात्रा में जल का सेवन करना महत्वपूर्ण है, ताकि गुर्दों में विषैले पदार्थ ठीक से बाहर निकल सकें।
प्रोटीन: उच्च प्रोटीन वाले आहार का अत्यधिक सेवन बचाव के रूप में नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे गुर्दों पर अत्यधिक दबाव पड़ सकता है।
फाइबर: फाइबर युक्त आहार सेवन से शारीरिक प्रक्रियाओं को सहज बनाया जा सकता है, और इससे गुर्दों की सेहत भी बेहतर रहती है।
इन तत्वों का ध्यान रखकर आहार योजना बनाने से गुर्दे की पथरी की संभावना कम हो सकती है।
4.मौत्र मार्ग संक्रमण: मौत्र मार्ग संक्रमण, जिसे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) भी कहा जाता है, एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जिसमें मौत्र मार्ग के किसी भी हिस्से में संक्रमण हो सकता है। इसमें मुख्यत: यूरिथ्रा और मूत्राशय शामिल हैं। निम्नलिखित हैं इसके कुछ प्रमुख विशेषताएं:
लक्षण:
पेशाब में जलन या चुभन: संक्रमित व्यक्ति को पेशाब करते समय जलन या चुभन महसूस हो सकती है।
अधिक पेशाब जाने की इच्छा: संक्रमण से बार-बार पेशाब जाने की इच्छा हो सकती है।
धातु या रक्त का आना पेशाब में: पेशाब में धातु या रक्त का आना भी एक सामान्य लक्षण हो सकता है।
पेट दर्द या पेशाब करते समय दर्द: पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है, साथ ही पेशाब करते समय दर्द महसूस हो सकता है।
कारण:
बैक्टीरिया का प्रवेश: बैक्टीरिया मूत्र मार्ग में प्रवेश कर सकता है, जिससे संक्रमण होता है।
सेक्सुअल संपर्क: संक्रमण सेक्सुअल संपर्क के माध्यम से भी हो सकता है।
सहज संक्रमण: कभी-कभी यह स्वाभाविक रूप से भी हो जाता है, बिना किसी स्पष्ट कारण के।
उपचार:
एंटीबायोटिक्स: डॉक्टर आमतौर पर एंटीबायोटिक्स का अनुशंसन कर सकते हैं जिससे संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है।
पानी का सेवन: पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जिससे मूत्राशय स्वच्छ रह सके।
आराम: संक्रमण के दौरान शारीरिक आराम भी महत्वपूर्ण होता है।
बचाव:
स्वच्छता का पालन: मूत्र मार्ग की स्वच्छता ध्यान में रखना।
सही तरीके से पेशाब करना: महिलाओं को विशेषकर ध्यान देना चाहिए कि वे सामने से पीछे की ओर की ओर साफ करें, ताकि बैक्टीरिया मूत्र मार्ग में न पहुँच पाएं।
यदि आपको लगता है कि आपको मौत्र मार्ग संक्रमण है, तो आपको चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
5.विरासत: विरासत एक महत्वपूर्ण कारक है जिसका संबंध गुर्दे की पथरी से हो सकता है। इसका मतलब है कि यदि आपके परिवार में किसी के पास पहले से ही यह समस्या है, तो आपको भी इस समस्या का सामना करने का जोखिम अधिक हो सकता है। आइए इस पर थोड़ा और विस्तार से जानें:
वांछनीय प्रवृत्तियां
वांछनीय प्रवृत्तियां, जैसे की विशेष प्रकार की एनजाइमें या अन्य आँशिकाएँ, जिन्हें हम अपने पूर्वजों से प्राप्त करते हैं, पथरी का कारण बन सकती हैं।
जीवनशैली
परिवारिक जीवनशैली, जैसे की आहारिक आदतें और शारीरिक गतिविधियाँ, भी पथरी होने के जोखिम को बढ़ावा दे सकती हैं।
हार्मोनियल और मेटाबॉलिक विशेषताएँ
कुछ हार्मोनियल और मेटाबॉलिक विशेषताएँ भी वांछनीय होती हैं, जिससे कुछ लोगों में पथरी होने का जोखिम अधिक होता है।
निगरानी और प्रबंधन
यदि आपके परिवार में पथरी का इतिहास है, तो आपको अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए और नियमित रूप से जांच करवानी चाहिए।
निष्कर्ष
इस प्रकार, विरासत गुर्दे की पथरी का महत्वपूर्ण कारण हो सकती है, और इसका ध्यान रखकर समय रहते परामर्श और जांच करवाना महत्वपूर्ण हो सकता है।
6.धातुओं की अधिकता या कमी: धातुओं की अधिकता या कमी" के संदर्भ में गुर्दे की पथरी के कारणों का विशलेषण करेंगे। जब शरीर में किसी धातु की अत्यधिक मात्रा होती है या कम होती है, तो यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जिसमें गुर्दे की पथरी भी शामिल है।
कैल्शियम:
अधिकता: अत्यधिक मात्रा में कैल्शियम का सेवन गुर्दे में कैल्शियम पथरियों का कारण बन सकता है।
कमी: यदि शरीर में कैल्शियम की कमी हो, तो इससे ऑक्सलेट का संचय बढ़ सकता है, जिससे पथरी का खतरा बढ़ जाता है।
ऑक्सलेट:
अधिकता: अधिक मात्रा में ऑक्सलेट युक्त भोजन का सेवन पथरी का कारण बन सकता है।
फास्फोरस:
अधिकता: अधिक फास्फोरस भी गुर्दे की पथरी के जोखिम को बढ़ा सकता है।
यूरिक एसिड:
अधिकता: अधिक मात्रा में प्रोटीन सेवन से यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे यूरिक एसिड पथरी का जोखिम बढ़ जाता है।
इस प्रकार, धातुओं की सही मात्रा का ध्यान रखना और संतुलित आहार लेना महत्वपूर्ण है ताकि गुर्दे की पथरी और अन्य संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सके।
7.औषधियां: हाँ, कुछ धारक औषधियां सचमुच गुर्दे की पथरी का कारण बन सकती हैं। जानते हैं कि कौन-कौन सी औषधियां इसमें शामिल हो सकती हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है:
औषधियां जिससे पथरी हो सकती है
कैल्शियम युक्त एंटासिड्स: जो अम्लता और पेट की अन्य समस्याओं के इलाज में प्रयुक्त होती हैं। इनका अत्यधिक सेवन करना पथरी का कारण बन सकता है।
दीर्घकालिक यूरिक एसिड कम करने वाली दवाइयां: जो गठिया और अन्य समस्याओं के इलाज में प्रयोग होती हैं, ये भी पथरी का कारण बन सकती हैं।
सिलेनेट्रेट्स: जिसे दिल की दवाओं में शामिल किया जाता है, यह भी अत्यधिक मात्रा में लेने पर पथरी बनने का कारण बन सकता है।
बचाव के उपाय
डॉक्टर की सलाह: यदि आपको लगता है कि आपकी दवाई से पथरी का खतरा है, तो डॉक्टर से सलाह लें और यदि संभव हो, तो औषधि बदलने का विचार करें।
संतुलित आहार: संतुलित आहार लेना जिसमें सभी जरूरी पोषक तत्व शामिल हों।
पानी का सेवन: पर्याप्त मात्रा में पानी पीना ताकि गुर्दे सही से काम कर सकें।
निदान
गुर्दे की पथरी का निदान उस समय की गंभीरता और पथरी की आकार और स्थिति पर निर्भर करता है। निदानिक प्रक्रियाएँ निम्न प्रकार की होती हैं:
1.उल्ट्रासोनोग्राफी (USG): यह एक प्रकार की रेडियोलॉजिकल जांच है जिसमें ध्वनि की तरंगों का प्रयोग होता है पथरी की स्थिति और आकार का आकलन करने के लिए।
आइए इस पर थोड़ी और ज्यादा जानकारी प्रदान करते हैं।
उल्ट्रासोनोग्राफी (USG) एक ऐसी निदानिक तकनीक है जिसका प्रयोग शरीर के विभिन्न अंगों की जांच के लिए किया जाता है। इसके लिए एक उल्ट्रासोनोग्राफी मशीन की आवश्यकता होती है जिसमें एक प्रकार की प्रोब होती है जिसे जांच के समय शरीर पर लगाया जाता है। इस प्रक्रिया के बारे में निम्नलिखित बिंदु ध्यान में रखने योग्य हैं:
ध्वनिक तरंगें: USG मशीन ऊच्च आवृत्ति की ध्वनिक तरंगें उत्पन्न करती है, जिससे आंतरिक धर्मांकन की साधारण संरचना का चित्रण किया जा सकता है।
अग्रज तकनीक: इसमें कोई इन्वेसिव प्रक्रिया नहीं होती और इसमें रेडिएशन का प्रयोग नहीं किया जाता, जिससे यह सुरक्षित माना जाता है।
इमेजिंग की गुणवत्ता: आधुनिक उल्ट्रासोनोग्राफी मशीनें उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें प्रदान कर सकती हैं, जिससे विशेषज्ञों को रोग की सही पहचान और सही निदान की संभावना बढ़ जाती है।
आकलन: यह तकनीक डॉक्टर को गुर्दे की पथरी के आकार, स्थिति और संख्या का सही आकलन करने में सहायक होती है, जिससे उचित उपचार योजना तैयार की जा सकती है।
उल्ट्रासोनोग्राफी जांच से संबंधित किसी भी प्रकार की तकलीफ़ होने की संभावना नहीं होती है और यह कम समय में पूरी हो जाती है।
2.कंप्यूटराइज़्ड टोमोग्राफी (CT) स्कैन: यह एक और प्रकार की रेडियोलॉजिकल जांच है जिसमें शरीर की विस्तृत छवियाँ बनाई जाती हैं, ताकि पथरी की सटीक स्थिति और आकार का पता लगाया जा सके।
कंप्यूटराइज़्ड टोमोग्राफी (CT) स्कैन से शरीर के किसी भी हिस्से की तीव्र और विस्तृत छवियाँ प्राप्त की जा सकती हैं, जिससे डॉक्टर्स को रोगी की स्थिति की सटीक जानकारी मिलती है। यह निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:
विस्तृत छवियाँ: CT स्कैन शरीर के विभिन्न हिस्सों की विस्तृत छवियाँ प्रदान कर सकता है, जिससे पथरी की सटीक स्थिति और आकार का निर्धारण किया जा सकता है।
उच्च रिज़ॉल्यूशन: CT स्कैन उच्च रिज़ॉल्यूशन की छवियाँ प्रदान करता है, जिससे छोटी से छोटी विवरणों को भी देखा जा सकता है।
जल्दी और अधिक सटीक: CT स्कैन तुलनात्मक रूप से ज्यादा जल्दी और सटीक जानकारी प्रदान कर सकता है, जिससे की उपचार की योजना तेजी से बनाई जा सकती है।
अविरोधित पर्यवेक्षण: इससे शरीर के किसी भी हिस्से को विभिन्न कोणों से देखा जा सकता है, जिससे की कोई भी अवरोधन नहीं होता।
इन सभी कारणों के चलते, गुर्दे की पथरी जैसी स्थितियों के निदान में CT स्कैन का महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
3.एक्स-रे: जबकि यह सबसे प्राचीन तकनीक है, यह आज भी कुछ मामलों में प्रयोग होता है, विशेषकर जब पथरी काल्शियम से बनी होती है।
बिलकुल, एक्स-रे की जांच का उपयोग आज भी किया जाता है ताकि काल्शियम युक्त पथरी का निर्धारण किया जा सके। जैसा कि हम जानते हैं, एक्स-रे की तकनीक आत्म-संघटित धातुओं या मिनरलों को पहचानने में सक्षम होती है, जिसमें काल्शियम भी शामिल है।
जब पथरी काल्शियम से बनी होती है, तो यह एक्स-रे पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जिससे डॉक्टर्स को इसका आकार और स्थान का ठीक से मूल्यांकन करने में सहायता मिलती है।
इसके अलावा, इस प्रकार की जांच से डॉक्टर यह भी निर्धारित कर सकते हैं कि पथरी का आकार और स्थान कितना है, ताकि उचित उपचार की योजना बनाई जा सके।
इस प्रकार, एक्स-रे, जिसे सामान्यत: कैल्सियम पथरियों का पता लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है, आज भी इस समस्या के निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
4.उरिन टेस्ट: इससे पेशाब में मौजूद रक्त या अन्य संकेतिक तत्वों का पता चलता है जिससे पथरी की संभावना का मूल्यांकन किया जा सकता है।
उरिन टेस्ट विशेषकर उन मामलों में महत्वपूर्ण होता है जब एक व्यक्ति में पथरी होने की संभावना हो। इस परीक्षण में कई तरह की जांचें की जाती हैं जिससे शारीरिक समस्याओं का पता चल सकता है। आइए जानते हैं की इसमें कौन-कौन सी जांचें की जाती हैं और इनका महत्व क्या है:
माइक्रोस्कोपिक जांच: इसमें पेशाब का सैम्पल माइक्रोस्कोप के तहत देखा जाता है ताकि रक्त कण, श्वेत कोशिकाएँ या अन्य असामान्य कण देखे जा सकें।
धातु परिक्षण: इसमें पेशाब में विभिन्न धातुओं की मात्रा की जांच होती है। जैसे कि: उच्च कैल्शियम स्तर, जो पथरी के विकास का संकेत हो सकता है।
पीएच परिक्षण: पेशाब की तेजाबिता का मात्रांकन भी पथरी की संभावना को जांचने में मदद कर सकता है।
अन्य संकेतिक तत्व: इसमें पेशाब में उच्च क्रिस्टल, उरिक एसिड, और साइट्रेट जैसे तत्वों की जांच होती है जिससे पथरी की संभावना का मूल्यांकन किया जा सकता है।
इन जांचों के परिणामों का मूल्यांकन करके डॉक्टर सही दिशा में निदान और उपचार की सलाह दे सकते हैं।
5.ब्लड टेस्ट: यह जांच पथरी से संबंधित किसी भी संक्रमण या अन्य समस्याओं का पता लगाने में सहायक हो सकती है।
हाँ, ब्लड टेस्ट से विभिन्न प्रकार की समस्याओं का पता लगाया जा सकता है जिससे गुर्दे की पथरी का कारण और प्रकृति का आकलन किया जा सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं:
इलेक्ट्रोलाइट स्तर: ब्लड टेस्ट से शरीर में सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड आदि इलेक्ट्रोलाइट के स्तर की जांच की जा सकती है, जिससे पथरी के विकास की संभावना का मूल्यांकन किया जा सकता है।
किडनी कार्यक्षमता: ब्लड टेस्ट से क्रिएटिनिन और ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN) का स्तर भी मापा जाता है, जिससे किडनी की कार्यक्षमता की जांच होती है।
कैल्शियम और उरिक एसिड के स्तर: इनके असमान्य स्तर पथरी के विकास की संभावना को सूचित कर सकते हैं।
संक्रमण या सूजन: ब्लड टेस्ट से साइटोकाइन्स और अन्य संकेतिक तत्वों का स्तर भी मापा जा सकता है, जिससे किसी भी संक्रमण या सूजन का पता चल सकता है।
इस प्रकार, ब्लड टेस्ट गुर्दे की पथरी से संबंधित विभिन्न पहलुओं का निदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और योग्य उपचार की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
उपचार
गुर्दे की पथरी का उपचार इसकी गंभीरता और पथरी के आकार पर निर्भर करता है। इसे ध्यान में रखते हुए, निम्नलिखित विभिन्न प्रकार के उपचार संभव हैं:
1. औषधियों का प्रयोग: गुर्दे की पथरी के उपचार में औषधियों का प्रयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहाँ कुछ मुख्य औषधियाँ और उनका प्रयोग विवेचित किया जा रहा है:-
1. दर्द निवारक
नॉन-स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स (NSAIDs): जैसे की इबुप्रोफेन, ये दवाइयाँ दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होती हैं।
पैरासिटामोल: यह भी एक प्रकार का दर्दनाशक होता है जो दर्द को कम करने में प्रयुक्त होता है।
2. एंटीबायोटिक्स
सिप्रोफ्लॉक्सेसिन, नोरफ्लॉक्सेसिन: ये दवाइयाँ संक्रमण को नियंत्रित करने में प्रयुक्त होती हैं।
3. दवाइयाँ जो पथरी का गठन रोकती हैं
आल्कलाइनिंग एजेंट्स: जैसे कि सित्रेट, जो पथरी के गठन को रोकने में मदद करती हैं।
थायाइड: कैल्शियम पथरी के बनने की संभावना को कम करने में सहायक होती हैं।
4. म्यूट्रलाइजिंग एजेंट्स
पोटैशियम सित्रेट: यह औषधि पेशाब को और अधिक आल्कलाइन बनाती है, जिससे कि पथरी का गठन ना हो।
उम्मीद है कि आप इस जानकारी से लाभ प्राप्त कर पाएंगे। ध्यान दें कि कोई भी औषधि सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
2. लीथोट्रिप्सी: लीथोट्रिप्सी एक तकनीक है जिसका उपयोग पथरी को तोड़ने के लिए किया जाता है, ताकि इसे सासानी से शारीर से बाहर निकाला जा सके। इसमें विभिन्न प्रकार की तकनीकें शामिल हो सकती हैं। चलिए इसकी विस्तार में जानते हैं:
एक्स्ट्राकॉरपोरियल शॉक वेव लीथोट्रिप्सी (ESWL): ESWL एक प्रकार की बाह्य तकनीक है जिसमें शारीर के बाहर से उच्च ऊर्जा वाली ध्वनि की तरंगें पथरी पर केंद्रित की जाती हैं। इससे पथरी छोटे टुकड़ों में तोड़ दी जाती है, जिससे कि इसे शारीर से सासानी से बाहर निकाला जा सके।
लेजर लीथोट्रिप्सी: इस प्रकार की लीथोट्रिप्सी में एक पतली और लचीली दूरबीन (उरीटरोस्कोप) का उपयोग किया जाता है, जिसमें एक लेजर फाइबर होता है। यह फाइबर पथरी तक पहुँचता है और इसे लेजर की मदद से छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है।
मैकेनिकल लीथोट्रिप्सी: इस तकनीक में, एक विशेष प्रकार का यंत्र पथरी को तोड़ने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें एक सांठी दूरबीन का उपयोग किया जाता है, जिससे कि चिकित्सक पथरी को सही तरीके से देख सके और इसे तोड़ सके।
सावधानियाँ और देखभाल:-
लीथोट्रिप्सी की प्रक्रिया के बाद, मरीजों को कुछ समय के लिए निगरानी में रखा जाता है। इस समय, मरीज को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए और डॉक्टर की सलाह पर अमल करना चाहिए।
3. सर्जरी: गुर्दे की पथरी का सर्जिकल उपचार तब आवश्यक होता है जब पथरी बड़ी होती है या यदि यह दर्द या संक्रमण का कारण बन रही है। निम्नलिखित हैं कुछ प्रमुख सर्जिकल प्रक्रियाएं:
पेरक्युटेनियस नेफ्रोलिथोटोमी (PCNL): इस प्रक्रिया में, चिकित्सक एक छोटी चाकू से पीठ के माध्यम से एक छोटी चिरा बनाता है और एक नेफ्रोस्कोप का उपयोग करके पथरी को तोड़ता है और निकालता है।
उरेटेरोस्कोपी (URS): इस प्रक्रिया में, एक पतला इंस्ट्रुमेंट (उरेटेरोस्कोप) यौरिक यानी मूत्रमार्ग के माध्यम से डाला जाता है जिससे की उरेटर या गुर्दे में मौजूद पथरी को देखा जा सकता है और उसे निकाला जा सकता है।
ओपन सर्जरी: आजकल यह कम ही किया जाता है, परंतु कभी-कभी, जब पथरी बहुत बड़ी होती है, तो ओपन सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। इसमें चिकित्सक पथरी को हटाने के लिए एक बड़ी चिरा बनाता है।
लैपरोस्कोपिक सर्जरी: इस प्रक्रिया में, छोटी चिराएँ बनाई जाती हैं और कैमरा और इंस्ट्रुमेंट्स का उपयोग करके पथरी को निकाला जाता है, जिससे रक्तस्राव और समय दोनों में कमी होती है।
इन सर्जिकल प्रक्रियाओं से पूर्व, चिकित्सक आपकी सेहत, पथरी का आकार और स्थान आदि को मध्य नजर में रखकर सबसे सही उपचार का निर्णय लेंगे।
4. जीवनशैली में परिवर्तन: गुर्दे की पथरी के जोखिम को कम करने के लिए जीवनशैली में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन आवश्यक हो सकते हैं, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
1. पानी का समुचित सेवन:
दिनभर में पर्याप्त पानी पीना: इससे शारीरिक तरल पदार्थों का संचारण सहज होता है और पथरी की संभावना कम होती है।
2. संतुलित आहार:
ओक्सलेट से बचना: जैसे की पालक, चुकंदर आदि की सेवन में सावधानी बरतना।
नमक की सीमित मात्रा में सेवन: अधिक नमक का सेवन पथरी की संभावना को बढ़ावा दे सकता है।
3. नियमित व्यायाम:
व्यायाम: नियमित व्यायाम से शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर बना जा सकता है और पथरी की संभावना कम होती है।
4. वजन की निगरानी:
संतुलित वजन: अधिक वजन से गुर्दे पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। इसलिए, अपने वजन को संतुलित रखना महत्वपूर्ण है।
5. धूम्रपान और मद्य से बचना:
धूम्रपान और शराब: इनका सेवन कम करने से पथरी की संभावना कम हो सकती है।
6. चिकित्सकीय सलाह:
चिकित्सक की सलाह: अगर आपको लगता है कि आपको पथरी की समस्या है, तो आपको चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए और उनकी दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।
इस प्रकार, जीवनशैली में उपयुक्त परिवर्तन करना पथरी से बचने में सहायक हो सकता है। ध्यान दें कि इन परिवर्तनों की पालना धीरे-धीरे और नियमित रूप से करनी चाहिए।
बचाव
गुर्दे की पथरी से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं जिन्हें ध्यान में रखकर आप इस समस्या से बच सकते हैं:
पर्याप्त जल सेवन: रोजाना कम से कम 8-10 ग्लास पानी पिएं। यह शारीरिक तरल पदार्थों का संचारण सहज बनाता है और पथरी का निर्माण रोकने में सहायक होता है।
संतुलित आहार: नमक, ओक्सलेट और कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें।
नियमित व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम करना गुर्दों की सही कार्य क्षमता बनाए रखने में मदद करता है।
वजन नियंत्रण: अत्यधिक वजन से बचना और स्वस्थ वजन बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।
नशा मुक्ति: धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन से बचें, क्योंकि इससे गुर्दे पर बोझ बढ़ सकता है।
मेडिकल जांच: नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाना और डॉक्टर की सलाह लेना।
ठंडे पानी से बचें: अत्यधिक ठंडे पानी का सेवन न करें, इससे पथरी का खतरा बढ़ सकता है।
इन उपायों का पालन करके आप गुर्दे की पथरी से बच सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
निष्कर्ष में, हम कह सकते हैं कि गुर्दे की पथरी एक सामान्य परंतु गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। समयानुसार और सही जांच द्वारा, इस समस्या का समाधान संभव है। इसके अलावा, सही जीवनशैली और संतुलित आहार द्वारा, इस समस्या से बचाव संभव है। आत्म-देखभाल और नियमित स्वास्थ्य जाँच से, हम इस समस्या की पूर्वानुमान की दिशा में एक कदम और बढ़ सकते हैं, और स्वस्थ और निरोगी जीवन जी सकते हैं।
आशा है कि यह ब्लॉग आपको गुर्दे की पथरी के बारे में ज्यादा जानकारी प्रदान कर पाया है। अगर आपके पास कोई प्रश्न हैं, तो कृपया हमें कॉल करें।