गुर्दे की पथरी एक सामान्य समस्या है जिसका सामना कई लोगों को करना पड़ता है। परंपरागत तरीकों से इसका इलाज संभव है, परंतु लेजर तकनीक से इस समस्या का समाधान करना अधिक प्रभावी और सुरक्षित हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे।
लेजर तकनीक: क्या है और कैसे काम करती है
लेजर तकनीक में एक विशेष प्रकार की किरणें इस्तेमाल की जाती हैं, जिससे पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल करके डॉक्टर पथरी को बिना कोई चिरा लगाए हटा सकते हैं।
प्रक्रिया
पूर्व-निरीक्षण: सबसे पहले मरीज का मूल्यांकन किया जाता है ताकि डॉक्टर को पथरी की स्थिति और आकार का पता चल सके।
प्रक्रिया: मरीज को सामान्यतः स्थानीय संवेदनहीनता में इस प्रक्रिया के लिए तैयार किया जाता है। फिर, एक पतली नली (उरीटरोस्कोप) के माध्यम से लेजर फाइबर को पथरी के स्थान तक पहुँचाया जाता है।
पथरी का विघटन: लेजर के माध्यम से पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है जिससे ये सरलता से मूत्रमार्ग से बाहर निकल सकें।
पश्चात्-देखभाल: प्रक्रिया के बाद, मरीज को कुछ समय के लिए निगरानी में रखा जाता है और जरूरत पड़ने पर दर्द निवारक दी जाती हैं।
लाभ
कम दर्द: इस तकनीक से होने वाली प्रक्रिया में दर्द की मात्रा कम होती है।
तेजी से साधारण जीवन की ओर लौटना: इससे मरीज को जल्दी ही साधारण जीवन में वापस लौटने की संभावना होती है।
उच्च सफलता दर: यह तकनीक पथरी को हटाने में काफी सफल रही है, जिससे इसकी सफलता दर भी अधिक है।
इस प्रकार, लेजर तकनीक गुर्दे की पथरी का एक क्रांतिकारी इलाज साबित हो सकता है, जिससे मरीजों को तेजी से आराम मिल सकता है और उन्हें परंपरागत शल्यक्रियाओं की तरह ज्यादा समय अस्पताल में नहीं बिताना पड़ता।