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गुर्दे की पथरी के प्रकार और उनके लक्षण

गुर्दे की पथरी के प्रकार और उनके लक्षण

गुर्दे की पथरी, जिसे विज्ञानिक भाषा में रेनल स्टोन्स (Renal Stones) कहा जाता है, एक ऐसी सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जिसका सामना कई लोगों को करना पड़ता है। इस ब्लॉग में हम गुर्दे की पथरी के प्रमुख प्रकार और उनके लक्षणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।


गुर्दे की पथरी के प्रकार


गुर्दे की पथरी के मुख्य चार प्रकार होते हैं, जिसे निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया जा सकता है:


1. कैल्शियम पथरी


कैल्शियम पथरी गुर्दों में सबसे आम प्रकार की पथरी होती है। यह तब बनती है जब गुर्दे में कैल्शियम ऑक्सलेट या कैल्शियम फास्फेट नामक पदार्थों की अधिक मात्रा होती है। आइए इसके लक्षणों के बारे में जानें:


लक्षण:

  1. सूजन और दर्द: गुर्दों या मूत्रमार्ग में सूजन और दर्द हो सकता है।

  2. हेमतुरिया: मूत्र में रक्त का होना, जिससे मूत्र लाल या पीला हो सकता है।

  3. मूत्र संबंधी समस्याएं: मूत्र का बार-बार आना या मूत्र में जलन महसूस होना।

  4. नौसेया और उल्टी: कुछ मामलों में, रोगियों को नौसेया और उल्टी की शिकायत भी हो सकती है।

कारण:

  1. अत्यधिक कैल्शियम सेवन: दिनभर में अधिक मात्रा में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन।

  2. पर्याप्त तरल पदार्थों की कमी: पर्याप्त मात्रा में पानी या अन्य तरल पदार्थों का सेवन न करना।

  3. मेडिकल स्थितियाँ: कुछ मेडिकल स्थितियाँ जैसे की हाइपरपैराथायरायडिज़म इस प्रकार की पथरी का कारण बन सकती हैं।

निवारण:

  1. संतुलित आहार: संतुलित आहार लेना, जिसमें की अत्यधिक कैल्शियम से बचना।

  2. पर्याप्त जल सेवन: दिनभर में पर्याप्त मात्रा में जल का सेवन करना, जिससे गुर्दों में विषाक्त पदार्थों का संचार सहज हो।

  3. नियमित व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम करना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना।

उपचार:

  1. चिकित्सा: चिकित्सक की सलाह लेना और उचित चिकित्सा प्राप्त करना।

  2. लीथोट्रिप्सी: इस प्रक्रिया में, उच्च ध्वनि की तरंगों का प्रयोग पथरी को तोड़ने के लिए किया जाता है।


साथ ही, यदि जरूरत होती है, तो सर्जरी द्वारा पथरी का निष्कासन भी किया जा सकता है। इस प्रकार, समय और सावधानी के साथ, कैल्शियम पथरी से जुड़ी समस्याओं को दूर किया जा सकता है।



2. स्ट्रुवाइट पथरी 



स्ट्रुवाइट पथरी एक प्रकार की गुर्दे की पथरी होती है जिसका संबंध मूत्र मार्ग संक्रमण से होता है। इस परिस्थिति में, जब एक व्यक्ति मूत्र मार्ग संक्रमण से पीड़ित होता है, तो उसके मूत्र में एक प्रकार की बैक्टीरिया बढ़ जाती है जिससे pH संतुलन बिगड़ जाता है। इससे मूत्र में स्ट्रुवाइट क्रिस्टल्स का निर्माण होने लगता है और धीरे-धीरे यह क्रिस्टल्स जमा होकर पथरी बना देते हैं।


इस प्रकार की पथरी का उपचार और निवारण इस प्रकार हो सकता है:

  1. उचित इलाज - मूत्र मार्ग संक्रमण का समय पर इलाज करना।

  2. पानी का सेवन बढ़ाना - पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से पथरी के निर्माण का खतरा कम हो सकता है।

  3. सही आहार - सही आहार का सेवन करना, जिसमें उच्च प्रोटीन और नमक की अत्यधिक मात्रा से बचना।

  4. रेगुलर चेकअप - नियमित रूप से चिकित्सक की सलाह लेना और जरूरी परीक्षण करवाना।


आपको किसी भी प्रकार की पथरी की आशंका हो, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।


3. ऊरिक एसिड पथरी


ऊरिक एसिड पथरी वास्तव में तब बनती है जब शरीर में ऊरिक एसिड की अत्यधिक मात्रा होती है। इस प्रकार की पथरी का निर्माण आमतौर पर उन व्यक्तियों में होता है जिनका खानपान अत्यधिक प्रोटीन युक्त होता है या जो पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं ग्रहण करते हैं।


इस प्रकार की पथरी आमतौर पर मूत्र में लाल या भूरे रंग की होती है और इसके कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. तेज और अचानक पेट का दर्द: जो एक साइड पर अधिक हो सकता है।

  2. मूत्र में रक्त: जिससे मूत्र का रंग लाल या पीला हो सकता है।

  3. संक्रमण: जिससे बुखार और ठंडी लग सकती है।


ऊरिक एसिड पथरी का निदान उस समय किया जा सकता है जब इसके लक्षण प्रकट होते हैं। इसका उपचार आमतौर पर दवाईयों, जीवनशैली में परिवर्तन और कभी-कभी सर्जरी द्वारा किया जाता है।


जीवनशैली में सुधार से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है, जैसे कि:

  1. पर्याप्त जल का सेवन: जिससे मूत्र प्रणाली साफ रहती है।

  2. संतुलित आहार: जिसमें ऊरिक एसिड का स्राव बढ़ाने वाले पदार्थों की मात्रा कम हो।

  3. नियमित व्यायाम: जिससे शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।


इन सुधारों से ऊरिक एसिड पथरी की सम्भावना को कम किया जा सकता है। यदि आपको लगता है कि आपके पास इसके लक्षण हैं, तो तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।


4. सिस्टीन पथरी


सिस्टीन पथरी वास्तव में एक अत्यंत दुर्लभ प्रकार की पथरी होती है, जो सिस्टिनुरिया नामक एक विरासती विकार के कारण उत्पन्न होती है। इस विकार में, व्यक्ति के मूत्र में अधिक मात्रा में सिस्टीन नामक एमिनो एसिड होता है, जिसके परिणामस्वरूप पथरी बन जाती है। आइए इसके बारे में और विस्तार से जानें।


उत्पत्ति और कारण


सिस्टीन पथरी का प्रमुख कारण सिस्टिनुरिया है, जो एक विरासती रोग होता है। इसमें, शरीर सिस्टीन नामक एमिनो एसिड को सहजता से प्रक्रिया नहीं कर पाता, और इसे मूत्र में संचारित नहीं कर पाता, जिससे यह एमिनो एसिड मूत्र में इकट्ठा हो जाता है और पथरी का रूप ले लेता है।


लक्षण


इस प्रकार की पथरी के लक्षण अन्य पथरी के लक्षणों के समान हो सकते हैं, जैसे की:

  • तेज़ और अचानक पेट या पीठ में दर्द

  • मूत्र में रक्त

  • मूत्र की बार-बार इच्छा

  • मूत्र में जलन या दर्द


निदान


सिस्टीन पथरी का निदान सामान्यत: मूत्र परीक्षण, उल्ट्रासोनोग्राफी या संभावत: CT स्कैन के माध्यम से किया जा सकता है।


उपचार


उपचार में शामिल हो सकते हैं:

  • पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन

  • आहार में परिवर्तन, जैसे की नमक की सीमित मात्रा में सेवन

  • चिकित्सक द्वारा निर्धारित दवाइयां

  • किसी गंभीर मामले में, सर्जरी या अन्य चिकित्सा प्रक्रियाएँ


प्राथमिक देखभाल


सिस्टीन पथरी से बचाव के लिए, यह महत्वपूर्ण होता है कि आप अपने आहार और जीवनशैली पर ध्यान दें। पानी और अन्य तरल पदार्थों का संतुलित सेवन करना, और स्वस्थ आहार अपनाना जरूरी है।


निष्कर्ष


सिस्टीन पथरी, जो सिस्टिनुरिया के कारण उत्पन्न होती है, एक विरासती और दुर्लभ स्वास्थ्य समस्या होती है। इसका समय पर निदान और उचित उपचार से इसके प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकता है, और संबंधित जटिलताओं से बचा जा सकता है।


गुर्दे की पथरी के लक्षण


जब गुर्दे में पथरी होती है तो कई प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हो सकते हैं:


1.पीठ या पेट के किसी एक हिस्से में तेज दर्द - यह दर्द अचानक शुरू हो सकता है और समय के साथ बढ़ सकता है।


जी, यह सच है कि गुर्दे की पथरी के होने पर अक्सर पीठ या पेट के किसी एक हिस्से में तेज़ दर्द महसूस होता है। यह दर्द अक्सर अचानक शुरू होता है और समय के साथ बढ़ सकता है। पथरी के साथ-साथ मूत्र की नली में भी इस प्रकार का दर्द हो सकता है, जिसे 'रेनल कॉलिक' कहा जाता है। यदि कोई इस प्रकार का दर्द महसूस करे, तो उसे तत्काल चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।


2.मूत्र में रक्त - जब पथरी गुर्दे से मूत्रवाहिनी में स्थानांतरित होती है, तो यह मूत्रवाहिनी की दीवारों को घातक सकती है, जिससे मूत्र में रक्त आ सकता है। यह एक चिन्ह हो सकता है कि पथरी मूत्र मार्ग में है और यह आमतौर पर तीव्र दर्द और अन्य लक्षणों के साथ दिखाई देता है। जब ऐसा होता है, तो मरीज को तत्काल मेडिकल सहायता की जरूरत होती है।


3. मूत्र से संबंधित समस्याएँ - मूत्र से संबंधित समस्याएँ गुर्दे की पथरी के सामान्य लक्षण हो सकती हैं। इसके अलावा, इस परिस्थिति में कई और समस्याएँ भी हो सकती हैं जैसे की:

  • मूत्रांग प्रदाह (Dysuria): मूत्र करते समय जलन या दर्द होना।

  • हेमातुरिया: मूत्र में रक्त का होना, जिससे मूत्र लाल या गहरे रंग का हो सकता है।

  • मूत्राधिक्य (Polyuria): एक दिन में सामान्य से अधिक बार मूत्र आना।

  • मूत्राल्पता (Oliguria): सामान्य से कम मूत्र का निकलना।

  • मूत्र संग्रहण (Urinary Retention): मूत्र का पूरी तरह से न निकल पाना।

  • अनियमित मूत्र प्रवाह: मूत्र का धारा-धार या धीरे से निकलना।

  • मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI): मूत्र मार्ग में संक्रमण होना, जिससे बुखार, कम्पकंपी और दर्द जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।


इन समस्याओं का सामना करने पर तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। यदि इस परिस्थिति का समय पर उपचार नहीं किया जाता है, तो यह और भी जटिल स्थितियों में परिवर्तित हो सकता है, जिसमें गुर्दे की कार्यक्षमता में हानि समाहित होती है।


4. बुखार और कम्पकंपी - जी हां, यह सच है कि गुर्दे की पथरी के कारण बुखार और कम्पकंपी आ सकती है। पथरी जब गुर्दे की नलियों में अटक जाती है तो यह सूजन और संक्रमण का कारण बन सकती है, जिससे शारीरिक असहजता और बुखार की समस्या हो सकती है।


बुखार और कम्पकंपी, खासकर तब होती है जब संक्रमण हो जाता है। इस स्थिति में, यह महत्वपूर्ण होता है कि व्यक्ति तत्काल मेडिकल सहायता ले, क्योंकि यह स्थिति गंभीर हो सकती है। मूत्र मार्ग संक्रमण या गुर्दे की अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें बुखार और कम्पकंपी आम लक्षण हो सकते हैं।


इसलिए, अगर कोई व्यक्ति गुर्दे की पथरी के अन्य लक्षणों के साथ बुखार और कम्पकंपी महसूस कर रहा है, तो उसे तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।


5. मतली और उलटी - जब पथरी गुर्दे में बनती है, तो यह आसपास की नसों और उत्तकों पर दबाव डाल सकती है, जिससे पेट में असहजता और उलटी जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, जब पथरी मूत्रवाहिनी के रास्ते बाहर निकलने की कोशिश करती है, तो यह तेज़ दर्द और उलटी जैसे लक्षण उत्पन्न कर सकती है। ऐसे में, तत्काल चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।


निगरानी और उपचार


गुर्दे की पथरी का निदान और उपचार समय पर होना चाहिए ताकि जटिलताएँ ना हों। यदि आपको इसके लक्षण दिखाई दें, तो तत्काल चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। उपचार के विकल्पों में दवाईयाँ, लीथोट्रिप्सी और सर्जरी शामिल हो सकती हैं।


निष्कर्ष


गुर्दे की पथरी एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जिसका समय पर निदान और उपचार महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य जागरूकता और उचित जीवनशैली अपनाने से इस समस्या से बचाव संभव है। इसलिए, समयानुसार चिकित्सकीय परीक्षण और सही जानकारी हासिल करना महत्वपूर्ण होता है।




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