Gurde Ki Pathri : आचार वनस्पतियों से गुर्दे की पथरी का इलाज
- Bionexus India
- Oct 17, 2023
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Updated: Oct 17, 2023
गुर्दे की पथरी एक ऐसी समस्या है जिससे कई लोग परेशान हैं। यह समस्या जब शरीर में अधिक मात्रा में कैल्शियम, ऑक्सेलेट या यूरिक एसिड जमा होता है, तो गुर्दे में पथरी बन जाती है। आजकल लोग आधुनिक जीवनशैली की वजह से इस समस्या से जूझ रहे हैं। लेकिन प्राचीन समय से ही आचार वनस्पतियों का उपयोग गुर्दे की पथरी के इलाज में होता आ रहा है।
वरुण (वरुणा) त्वक (छाल) - वरुण की छाल का काढ़ा गुर्दे की पथरी के इलाज में मददगार होता है। यह पथरी को मुलायम करके उसे बाहर निकालने में मदद करता है।
पुनर्नवा - पुनर्नवा का उपयोग प्राचीन समय से ही विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है। यह गुर्दे की पथरी के इलाज में भी प्रभावी है।
पलाश पुष्प - पलाश के पुष्प गुर्दे की पथरी को तोड़ने की क्षमता रखते हैं। यह पुष्प पथरी को बाहर निकालने में मदद करता है।
घृतकुमारी - घृतकुमारी का रस शरीर को शुद्ध करता है और गुर्दे की पथरी को निकालने में मदद करता है।
तुलसी - तुलसी के पत्तों का उपयोग गुर्दे की पथरी के इलाज में भी किया जा सकता है। तुलसी पथरी को मुलायम करके उसे बाहर निकालने में मदद करती है।
इन सभी आचार वनस्पतियों का उपयोग करने से पहले एक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें। अधिकतर मामलों में, इन वनस्पतियों का सेवन सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ व्यक्तियों में यह साइड इफेक्ट्स भी पैदा कर सकता है।
आचार वनस्पतियों का उपयोग गुर्दे की पथरी के इलाज में अधिक प्राचीन और प्राकृतिक तरीका है। इससे शरीर में कोई हानिप्रद प्रभाव नहीं होता और यह पूरी तरह से सुरक्षित है। हालांकि, यदि किसी को इसके सेवन से कोई समस्या होती है तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
आचार वनस्पतियों के साथ ही सही जीवनशैली और संतुलित आहार भी जरूरी है। अधिक नमक, प्रोटीन और कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करने से भी पथरी की समस्या से बचा जा सकता है।
आचार वनस्पतियों का सही तरीके से उपयोग करने से गुर्दे की पथरी की समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है। लेकिन, यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है और तत्परता जरूरी है।