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Gurde Ki Pathri : ताजी हल्दी से गुर्दे की पथरी का इलाज


Gurde Ki Pathri : ताजी हल्दी से गुर्दे की पथरी का इलाज

हल्दी, जिसे तुर्मेरिक भी कहते हैं, एक ऐतिहासिक और औषधीय जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग भारतीय वानस्पतिक चिकित्सा में होता रहा है। ताजी हल्दी का पीला रंग और अद्वितीय स्वाद इसे विशेष बनाता है। अधिकतर लोग इसे मसाले के रूप में पहचानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसमें ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो गुर्दे की पथरी के इलाज में सहायक हो सकते हैं?


  1. हल्दी में कुर्कुमिन: हल्दी के अद्भुत औषधीय गुणों का कारण इसमें पाए जाने वाले मुख्य यौगिक 'कुर्कुमिन' है। इसके विरोधी-सूजन और विरोधी-ऑक्सीडेंट गुण हैं जो पथरी से जुड़ी सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं।

  2. यूरिन की संचारण प्रक्रिया में सुधार: हल्दी यूरिन की प्रक्रिया को सुधारने में मदद करती है, जिससे पथरी के टुकड़े आसानी से निकल सकते हैं।

  3. पथरी के निर्माण को रोकना: ताजी हल्दी में पाए जाने वाले यौगिक पथरी के निर्माण को रोकने में मदद करते हैं।

  4. प्राकृतिक विरोधी-संक्रामक: हल्दी में विरोधी-संक्रामक गुण भी होते हैं जो गुर्दे में संक्रमण से बचाव करते हैं।


यद्यपि हल्दी के इन औषधीय गुणों का जिक्र किया जाता है, फिर भी इसका सीधा संबंध गुर्दे की पथरी के इलाज से स्थापित करने के लिए और अधिक अध्ययन की जरूरत है।


उपयोग:


ताजी हल्दी को पीसकर उसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को गर्म पानी, दूध या चाय में मिलाकर पी सकते हैं। यदि आपको हल्दी का स्वाद पसंद नहीं है, तो आप इसे कैप्सूल रूप में भी ले सकते हैं।

सतर्कता:


हल्दी के अधिक सेवन से पेट की समस्या, लीवर की समस्या और खून पतला होने की स्थिति हो सकती है। इसलिए इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें।

अंत में, यदि आपको लगता है कि आपको गुर्दे की पथरी है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। हल्दी एक प्राकृतिक उपचार हो सकता है, लेकिन यह एक वैज्ञानिक इलाज का प्रतिस्थापन नहीं है। आपके डॉक्टर ही आपको सही मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।


 
 

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