गुर्दे की पथरी आजकल कई लोगों की समस्या बन गई है। असंतुलित जीवनशैली, अधिक नमकीन खानपान, जल की कमी और अन्य कई कारक इसके पीछे हैं। जब गुर्दे में कल्शियम, ऑक्सलेट या यूरिक एसिड का अधिक संचार होता है, तो यह क्रिस्टल की शक्ल में जम जाता है जिससे पथरी बन जाती है। इसके लिए विभिन्न प्राकृतिक उपाय भी हैं, जिनमें से एक है - तिल।
तिल, जो भारतीय खानपान में प्रमुख रूप से प्रयुक्त होता है, उसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। तिल में सीसामोलिन और सीसामीन जैसे यौगिक होते हैं जो अंतिऑक्सीडेंट प्रोपर्टीज वाले होते हैं। इसके अलावा, तिल में फाइबर, विटामिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। तिल के तेल का भी अपना महत्व है, जो गुर्दे की पथरी को निकालने में मदद कर सकता है।
तिल से गुर्दे की पथरी के इलाज कैसे करें?
तिल का तेल: तिल का तेल शरीर में सूजन को कम करने की क्षमता रखता है, जो पथरी के दर्द को कम कर सकता है। इसके अलावा, यह तेल गुर्दे की पथरी को ढीला करने में मदद कर सकता है जिससे पथरी आसानी से बाहर निकल सकती है।
तिल के बीज: तिल के बीज को पानी में रात भर भिगोकर रखें और सुबह इसे पीस लें। इस पेस्ट को नियमित रूप से सेवन करने से गुर्दे की पथरी का इलाज हो सकता है।
तिल और शहद: तिल और शहद का मिश्रण भी गुर्दे की पथरी के इलाज में मददगार साबित होता है। रोजाना इस मिश्रण को लेने से पथरी का आकार छोटा हो सकता है और धीरे-धीरे यह शरीर से बाहर निकल सकता है।
हालांकि, यह जरूरी है कि आप किसी भी प्राकृतिक उपचार को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें। कुछ लोगों को तिल से एलर्जी हो सकती है, इसलिए इसे सेवन करने से पहले सतर्क रहना चाहिए।
अंत में, तिल से गुर्दे की पथरी का इलाज संभव है, लेकिन यह एक धीरज मांगता है। नियमित रूप से तिल का सेवन करने से शरीर में सहायक मिनरल्स और विटामिन की पूर्ति होती है, जो गुर्दे की सही कार्यक्षमता में मदद करते हैं। फिर भी, यदि पथरी की समस्या ज्यादा गंभीर हो, तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए।