Gurde Ki Pathri : आयुर्वेदिक नुस्खों से गुर्दे की पथरी का इलाज
- Bionexus India
- Oct 11, 2023
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आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है, जिसमें वनस्पति, जड़-बूटियों और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों का इस्तेमाल होता है। इसका मुख्य उद्देश्य शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन की पुनर्स्थापना है। गुर्दे की पथरी एक सामान्य समस्या है, जिससे कई लोग प्रभावित होते हैं। आयुर्वेद में इसके इलाज के लिए कई प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं।
1. वरुण (क्रेटेवा नुरवला)
वरुण की छाल को दिये जाने वाले पथरी विघातक और मूत्रल गुणों के कारण यह पथरी के उपचार में प्रभावी माना जाता है।
2. गोक्षुर (त्रिबुलुस टेर्रेस्ट्रिस)
गोक्षुर में दिये जाने वाले दीर्घकाय और मूत्रल गुण पथरी के उपचार में सहायक होते हैं।
3. पुनर्नवा (बोरहेविया डिफ्फुसा)
पुनर्नवा की जड़ में मूत्रल और शोधहर गुण होते हैं, जो पथरी की समस्या में लाभदायक होते हैं।
4. कुलथी दल (होर्स ग्राम)
कुलथी का देखभाल और पेय करने से पथरी को तोड़ने में मदद मिलती है।
5. निम्बू और जैतून का तेल निम्बू के रस में कुछ बूँदें जैतून के तेल की मिलाकर सेवन करने से पथरी में आराम मिलता है।
उपाय और सुझाव:
अधिक पानी पीने से पथरी के निर्माण की संभावना कम होती है।
नियमित शारीरिक गतिविधियों में शामिल होना चाहिए।
अधिक नमक और प्रोटीन युक्त आहार से बचना चाहिए।
नियमित रूप से आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन करने से पथरी की समस्या से बचाव होता है।
सावधानियां:
किसी भी आयुर्वेदिक उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
अगर पथरी की समस्या बढ़ जाए तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लें।
कुछ जड़ी-बूटियां अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकती हैं, इसलिए सावधानी से इस्तेमाल करें।
निष्कर्ष: आयुर्वेद प्राकृतिक सामग्रियों पर आधारित है और इसमें पथरी के उपचार के लिए विभिन्न उपाय बताए गए हैं। हालांकि, इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए। आयुर्वेदिक उपाय और जीवनशैली में सुधार से पथरी की समस्या से बचाव संभव है।