पथरी एक आम समस्या है जिसे उचित समय पर उपचार नहीं किया जाता तो यह जानलेवा भी हो सकता है। परंतु, प्राचीन आयुर्वेद में कुछ ऐसे घरेलू उपाय और कढ़ा बताए गए हैं जो पथरी को घुलाने में सहायक होते हैं।
पुनर्नवा कढ़ा: पुनर्नवा को आयुर्वेद में विशेष रूप से मूत्र और गुर्दे संबंधित रोगों के लिए उपयोगी माना जाता है। पुनर्नवा के पत्तियों से बना कढ़ा पिने से पथरी में आराम मिलता है।
गोखरू कढ़ा: गोखरू भी पथरी और मूत्र संबंधित रोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है। गोखरू के सेवन से पथरी में राहत मिलती है और पथरी का आकार भी छोटा होता जा रहा है।
वरुण की छाल का कढ़ा: वरुण की छाल से बना कढ़ा पथरी को घुलाने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से पीने से पथरी धीरे-धीरे घुलकर निकल जाती है।
कुलथी का कढ़ा: कुलथी दाल से बना कढ़ा भी पथरी के इलाज में प्रभावी माना जाता है। इसका सेवन करने से पथरी तेजी से घुलती है और मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है।
पीपल की छाल का कढ़ा: पीपल की छाल से बना कढ़ा पथरी में अत्यधिक लाभकारी होता है। इसे रोजाना पीने से पथरी का आकार छोटा होता है और यह धीरे-धीरे बाहर निकल जाती है।
हरड़, बहेड़ा, और आंवला: इन तीनों को मिलाकर बनाया जाने वाला त्रिफला भी पथरी के लिए उपयोगी है। त्रिफला के कढ़ा का सेवन करने से पथरी में राहत मिलती है।
उपयोग और सावधानियाँ:
यह सभी कढ़ा उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
कढ़ा नियमित रूप से, और उचित मात्रा में ही पिएं।
अगर आपको किसी भी कढ़ा से एलर्जी या अन्य समस्या होती है तो तुरंत सेवन बंद कर दें।
अंत में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये उपाय संपूर्ण रूप से पथरी का इलाज करने का वादा नहीं करते, परंतु इनका सहायक उपयोग किया जा सकता है। गंभीर स्थितियों में चिकित्सक की सलाह जरूर लें।