गुर्दे की पथरी एक आम समस्या है जिससे अनेक लोग प्रभावित होते हैं। जब अनवांछित पदार्थ जैसे कि उरिक एसिड, ऑक्सलेट्स या कैल्शियम गुर्दे में जमा हो जाते हैं, तो पथरी बन सकती है। आयुर्वेद में गोखरू (ट्रिबुलस टेर्रेस्ट्रिस) का उल्लेख है जिसे प्राचीन समय से पथरी और अन्य गुर्दे संबंधित समस्याओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
गोखरू क्या है?
गोखरू एक प्रकार का औषधीय पौधा है जिसे प्राचीन समय से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है। इसके फल, मूल और बीज में औषधीय गुण होते हैं।
गोखरू और पथरी: गोखरू के विभिन्न औषधीय गुण होते हैं जो गुर्दे की पथरी में सहायक होते हैं:
मूत्रल गुण: गोखरू मूत्र की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने में सहायक होता है, जिससे शरीर में अधिक पानी और विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। इससे पथरी के आकार को कम किया जा सकता है और उसे बाहर निकाला जा सकता है।
शोध निवारक: गोखरू में शोध निवारक गुण होते हैं, जिससे गुर्दे में सूजन और दर्द को कम किया जा सकता है।
विषहरण: गोखरू शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे पथरी का निर्माण रोका जा सकता है।
सेवन विधि और मात्रा:
गोखरू पाउडर: 1-2 ग्राम गोखरू पाउडर को गुनगुने पानी के साथ सुबह-शाम ले सकते हैं।
गोखरू क्वाथ: गोखरू की जड़ों को पानी में उबालकर पिएं।
गोखरू कैप्सूल: डॉक्टर की सलाह से गोखरू कैप्सूल भी ले सकते हैं।
सावधानियां:
गोखरू के सेवन से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
अधिक मात्रा में सेवन से दुष्प्रवृत्ति हो सकती है।
अन्य औषधियों के साथ ड्रग इंटरएक्शन की संभावना हो सकती है, इसलिए डॉक्टर से सलाह लें।
निष्कर्ष:
गोखरू गुर्दे की पथरी के उपचार में सहायक हो सकता है। फिर भी, किसी भी प्राकृतिक उपाय को अपनाने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।