गुर्दे की पथरी का मुख्य कारण आहार, पानी की कमी, शारीरिक अवसाद या अन्य जीवनशैली संबंधित कारण होते हैं। इससे गुर्दे में मिनरल्स जैसे कि कैल्शियम और ऑक्सेलेट का संचय होता है जो पथरी बना देते हैं।
यम्स, जिसे हिंदी में 'रतालू' भी कहते हैं, पुराने समय से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में प्रयुक्त होता आया है। यह उत्तर और दक्षिण अमेरिका के मूल वनस्पति है, और इसमें उचित मात्रा में फाइबर, विटामिन और मिनरल्स होते हैं।
यम्स और गुर्दे की पथरी:
फाइबर स्रोत: यम्स में समृद्ध मात्रा में डाइटरी फाइबर पाया जाता है। फाइबर से शरीर की सफाई होती है और यह अनावश्यक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे पथरी का जोखिम कम होता है।
मिनरल्स: यम्स में पोटैशियम, मैग्नीशियम और अन्य महत्वपूर्ण मिनरल्स होते हैं जो गुर्दे को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
उचित pH संतुलन: यम्स का सेवन करने से शरीर में उचित pH संतुलन बना रहता है, जिससे पथरी की संभावना कम होती है।
अन्य लाभ: यम्स में विटामिन C भी होता है, जो ऑक्सेलेट के संचय को रोकने में मदद करता है और पथरी के जोखिम को कम करता है।
यम्स का सेवन कैसे करें:
कच्चा सेवन: छोटी-छोटी टुकड़ों में कटकर, सलाद में मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
पकाकर: यम्स को पका कर, सूप या सब्जी में परोस सकते हैं।
पाउडर रूप में: यम्स का पाउडर भी उपलब्ध होता है, जिसे पानी या अन्य पेय में मिलाकर पी सकते हैं।
सावधानियां:
हालांकि यम्स कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है, फिर भी कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है। इसलिए, यदि आप पहली बार यम्स का सेवन कर रहे हैं, तो ध्यान से और छोटी मात्रा में सेवन करें।
निष्कर्ष:
यम्स का सेवन गुर्दे की पथरी के जोखिम को कम कर सकता है, लेकिन यह कोई जादुई इलाज नहीं है। यदि आपको लगता है कि आपको पथरी है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। और हाँ, संतुलित आहार और पर्याप्त पानी का सेवन करना भी जरूरी है।