हिबिस्कस (Hibiscus) एक प्रकार का पौधा है जिसके फूल को विभिन्न स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इसके फूल की चाय या उसके पत्तियों का सेवन सेहत के अनेक फायदे देने वाला माना जाता है। हाल की अध्ययनों में यह पाया गया है कि हिबिस्कस गुर्दे की पथरी के उपचार में भी सहायक हो सकता है।
गुर्दे की पथरी क्या है?
गुर्दे की पथरी तब बनती है जब गुर्दे में उपस्थित यौरिक एसिड, कैल्शियम और अन्य पदार्थ जमा हो जाते हैं और ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं। यह पथरी गुर्दे में ही बनी रह सकती है या यूरीन के साथ बाहर निकलने की कोशिश करती है, जिससे दर्द और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
हिबिस्कस और गुर्दे की पथरी:
विषमुक्तकरण प्रक्रिया: हिबिस्कस में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को निकालने में सहायक होते हैं। इससे गुर्दों का स्वास्थ्य बना रहता है और पथरी बनने की संभावना कम होती है।
यूरिन संवर्धन: हिबिस्कस यूरीन का प्रवाह बढ़ाने में सहायक होता है, जिससे गुर्दे से अनावश्यक पदार्थों का निकासन आसानी से होता है। इससे पथरी बनने की संभावना कम होती है।
पथरी को टूटने में सहायक: कुछ अध्ययनों से पता चला है कि हिबिस्कस पथरी के अनुपात और आकार में परिवर्तन कर सकता है, जिससे पथरी आसानी से टूट सकती है।
सेवन विधि और मात्रा:
हिबिस्कस की चाय को सामान्यत: प्रयोग में लाया जाता है। इसे बनाने के लिए आपको कुछ सूखे हिबिस्कस के फूलों को पानी में उबालना होता है। इसे ठंडा होने दें और फिर पी लें।
यदि आप किसी विशेष समस्या के चलते हिबिस्कस का सेवन कर रहे हैं, तो इसकी सही मात्रा और सेवन की विधि के लिए चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
सावधानियां:
हालांकि हिबिस्कस से अनेक फायदे होते हैं, फिर भी कुछ लोगों को इसके सेवन से एलर्जी या अन्य समस्या हो सकती है। अत: इसे पहली बार सेवन करते समय सावधानी बरतें।
निष्कर्ष:
हिबिस्कस गुर्दे की पथरी के उपचार में सहायक हो सकता है, लेकिन इसे सेवन करने से पहले चिकित्सक से सलाह जरूर लें। यह एक प्राकृतिक उपाय है जिसे अन्य उपचारों के साथ मिलाकर प्रयोग में लाया जा सकता है।