Kidney Stones : शिलाजीत से गुर्दे की पथरी का इलाज
- Bionexus India

- Oct 4, 2023
- 2 min read
शिलाजीत एक प्राकृतिक रेजिन है, जिसे हिमालय की चट्टानों से प्राप्त किया जाता है। यह आयुर्वेद में मौलिक और चिकित्सा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। शिलाजीत में विभिन्न मिनरल्स, फूल्विक एसिड, ह्यूमिक एसिड और अन्य महत्वपूर्ण तत्व होते हैं, जिनके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। गुर्दे की पथरी के संबंध में शिलाजीत के लाभों का अध्ययन किया गया है, और इसे पथरी के उपचार में उपयोगी माना जाता है।
गुर्दे की पथरी क्या है?
गुर्दे की पथरी, जिसे रेनल स्टोन्स भी कहा जाता है, गुर्दे में उत्पन्न होने वाली ठोस पथरी होती है, जो मूत्र में पाये जाने वाले मिनरल और नमक के जमाव से बनती है।
शिलाजीत के गुण और उसका उपयोग:
शिलाजीत में अंतिओक्सीडेंट गुण: शिलाजीत में अंतिओक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर के अंदर उत्पन्न होने वाले फ्री रैडिकल्स को नष्ट करते हैं। इससे गुर्दे को सुरक्षित रखा जा सकता है।
शिलाजीत में मिनरल्स: शिलाजीत में पाये जाने वाले मिनरल्स गुर्दे के संचारण प्रक्रिया में सहायक होते हैं, और पथरी के निर्माण को रोकने में भी मदद करते हैं।
यूरिक एसिड को कम करने में सहायक: कुछ अध्ययनों में देखा गया है कि शिलाजीत यूरिक एसिड के स्तर को कम कर सकता है, जो पथरी के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
शिलाजीत में पाये जाने वाले तत्व: शिलाजीत में फूल्विक एसिड, ह्यूमिक एसिड जैसे तत्व होते हैं, जो पथरी के उपचार में उपयोगी साबित हो सकते हैं।
उपयोग और सावधानियां:
शिलाजीत का सेवन करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
मात्रा: शिलाजीत की अधिक मात्रा में सेवन से दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए, इसका सेवन सीमित मात्रा में और विशेषज्ञ की सलाह पर ही करें।
अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया: अगर आप किसी अन्य दवा का सेवन कर रहे हैं, तो शिलाजीत का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
अलर्जी: कुछ लोगों को शिलाजीत से अलर्जी हो सकती है। अगर आपको इसके सेवन से राशि, खुजली या किसी अन्य प्रकार की प्रतिक्रिया होती है, तो तुरंत इसका सेवन बंद कर दें और डॉक्टर से सम्पर्क करें।
निष्कर्ष:
शिलाजीत के अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं और यह गुर्दे की पथरी के इलाज में भी उपयोगी साबित हो सकता है। हालांकि, इसका सही तरीके से और सही मात्रा में सेवन करना महत्वपूर्ण है। यदि आप शिलाजीत का सेवन करने में रुचि रखते हैं, तो अपने आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

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